यज्ञ के प्रकार

आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज । एनवायरमेंट बाबा ।

यज्ञ के प्रकार  

  1. ब्रह्म यज्ञ  
  • परिचय: इसे सबसे पहले यज्ञ माना गया है।  
  • अर्पण: ईश्वर को समर्पित यह यज्ञ नित्य संध्या वंदन, स्वाध्याय, और वेद पाठ के साथ संपन्न होता है।  
  • लाभ: इसे करने से ऋषियों का ऋण चुकता होता है।  
  1. देव यज्ञ  
  • परिचय: घर में संपन्न सभी यज्ञ देव यज्ञ की श्रेणी में आते हैं।  
  • अवधि: संध्या काल में गायत्री मंत्र के साथ यह यज्ञ किया जाता है।  
  • लाभ: इससे देव ऋण चुकाया जाता है।  
  • विशेष सामग्री: आम, पीपल, बड़, ढाक, जामुन, और शमी के वृक्षों की लकड़ियाँ (समिधा) उपयोग की जाती हैं।  
  1. अश्वमेध यज्ञ  
  • परिचय: यह यज्ञ चक्रवर्ती सम्राट बनने के उद्देश्य से किया जाता था।  
  • धर्म ग्रंथों के अनुसार: जो राजा सौ बार यह यज्ञ करता है, वह देवराज इंद्र का पद प्राप्त करता है।  
  1. राजसूय यज्ञ  
  • परिचय: यह यज्ञ राजा अपनी कीर्ति बढ़ाने और राज्य की सीमाएँ विस्तृत करने के लिए करते थे।  
  1. पितृ यज्ञ  
  • परिचय: मातापिता और आचार्यों को श्रद्धा और सम्मान के साथ किया गया यज्ञ।  
  • लाभ: यह पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध के रूप में अर्पित होता है।  
  1. भूत यज्ञ  
  • परिचय: यह यज्ञ पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।  
  • प्रक्रिया:  
  •   पृथ्वी: मृत शरीर की चिता का निर्माण।  
  •   जल: चिता की परिक्रमा और अस्थियों का जल में विसर्जन।  
  •   अग्नि: शरीर का दाह संस्कार।  
  •   वायु: शरीर के सूक्ष्म कणों का वायु में विलय।  
  •   आकाश: पंचमहाभूतों का समर्पण आकाश में।  
  1. अतिथि यज्ञ  
  • परिचय: अतिथि देवो भव की परंपरा के अनुसार, घर पर आए अतिथियों की सेवा करना।  
  • लाभ: इससे जीव ऋण चुकता होता है।  
  • विशेष कार्य: जरूरतमंद, असहाय, विद्यार्थियों, संतों, और धर्म योद्धाओं की सेवा।  
  1. मानव यज्ञ  
  • परिचय: समाज और मानवता की सेवा।  
  • लाभ: यह यज्ञ सामाजिक कर्तव्य को पूरा करता है। 

यज्ञ केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि मानवता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का साधन है। यह मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग है। आइए, यज्ञ परंपरा का पालन कर अपना जीवन धन्य बनाएं।