बाबा का योगदान

आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज । एनवायरमेंट बाबा ।

अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा: एक ऐतिहासिक पहल

यात्रा का उद्देश्य और शुभारंभ

15 अगस्त 2016 को बाबा अरुण गिरी जी महाराज के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व अभियान, “अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा” की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पवित्र वैष्णो देवी धाम से हुई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण और विश्व कल्याण के लिए जागरूकता फैलाना, साथ ही संपूर्ण भारत में वृक्षारोपण और यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण को शुद्ध करना। यात्रा का उद्घाटन करते हुए बाबा अरुण गिरी जी ने पर्यावरण की महत्ता और प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी को महसूस कराते हुए यह संदेश दिया कि जब तक हम प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखेंगे, तब तक मानवता और पृथ्वी दोनों का कल्याण संभव है।

यात्रा मार्ग और महत्वपूर्ण घटनाएँ

यह यात्रा 28 फरवरी 2017 को कन्याकुमारी में संपन्न हुई, और इस दौरान यात्रा के मार्ग में अनेक स्थानों पर अखंड यज्ञ और वृक्षारोपण के कार्यक्रम आयोजित किए गए। यात्रा की शुरुआत वैष्णो देवी धाम से हुई, जो एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और वहां से यात्रा का उद्देश्य और भी पवित्र हो गया। यात्रा में बाबा अरुण गिरी जी के साथ उनके शिष्य, अनुयायी और समाजसेवी लोग जुड़े, जो एकजुट होकर इस मिशन को आगे बढ़ाते रहे।

वृक्षारोपण के एक विशेष पहलू के तौर पर, वैष्णो देवी धाम से यात्रा के साथ पीपल, बड़ और नीम के त्रिवेणी संगम वृक्षों का रोपण किया गया। इन तीनों वृक्षों का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है, और यह माना जाता है कि ये वृक्ष पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। यात्रा के दौरान इन वृक्षों को विभिन्न स्थानों पर पूजा अर्चना के साथ रोपित किया गया और इनका संरक्षण किया गया। यह प्रतीक था पर्यावरण के साथ मानवता के संबंध को प्रगाढ़ करने का, जिसमें संतुलन, शुद्धता और समृद्धि की भावना निहित थी।

वृक्षारोपण और अखंड यज्ञ

यात्रा के दौरान बाबा अरुण गिरी जी ने यह सुनिश्चित किया कि हर पड़ाव पर वृक्षारोपण और अखंड यज्ञ का आयोजन किया जाए। इन यज्ञों का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को शुद्ध करना था, बल्कि पूरे समाज को यज्ञ के महत्व और उसकी वैज्ञानिक दृष्टि से भी अवगत कराना था। यज्ञ की ऊर्जा से न केवल वातावरण की शुद्धि होती है, बल्कि यह मानसिक शांति और समृद्धि की दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ाता है।

यात्रा का समापन और वृक्षों का पुनः रोपण

28 फरवरी 2017 को यात्रा के समापन के बाद, बाबा अरुण गिरी जी ने उज्जैन के ग्राम मोहनपुरा सिंहस्थ, बड़नगर बायपास रोड स्थित आश्रम में इन त्रिवेणी वृक्षों का पुनः रोपण किया। यह पुनः रोपण एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि यहां पर इन वृक्षों को पुनः स्थापित कर उनका संरक्षण किया गया, ताकि यह वृक्ष पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और शुद्धता का प्रतीक बन सकें। इस पुनः रोपण समारोह में बाबा अरुण गिरी जी के अनुयायियों और स्थानीय समुदाय ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और वृक्षों के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास किया।

संदेश और योगदान

अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा का समापन न केवल एक शारीरिक यात्रा थी, बल्कि यह एक मानसिक और आध्यात्मिक यात्रा भी थी, जिसने समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और कर्तव्यों का एहसास कराया। बाबा अरुण गिरी जी के इस अभियान ने लोगों को यह समझाया कि पर्यावरण संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है, जिसे हर व्यक्ति को निभाना चाहिए। 

यह यात्रा केवल वृक्षारोपण और यज्ञ तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसने समाज में एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न किया, जिसमें हर व्यक्ति को अपने जीवन में पर्यावरण को प्राथमिकता देने का संदेश दिया गया। बाबा अरुण गिरी जी के नेतृत्व में यह यात्रा पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई और आज भी उनके द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के प्रभाव को महसूस किया जा सकता है।