परिचय

परिचय

आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज (एनवायरमेंट बाबा )

आवाहन पीठ के पूजनीय पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज, जिन्हें ‘एनवायरमेंट बाबा’ के रूप में भी जाना जाता है, भारत के आध्यात्मिक परिदृश्य में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। वे अपने जीवन को पर्यावरण संरक्षण, मानव कल्याण, और योग साधना के उच्चतम उद्देश्यों के लिए समर्पित कर चुके हैं। हिमालय की गोद में जन्मे बाबा अरुण गिरी जी का प्रारंभिक जीवन उनके गुरु, महायोगी तारा शंकर जी और बाद में महायोगी पायलट बाबा के संरक्षण में बीता, जहाँ उन्हें अध्यात्म, योग, और साधना की उच्च शिक्षा दीक्षा प्राप्त हुई।

प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक शिक्षा
बाबा अरुण गिरी जी का जन्म एक पवित्र भूमि पर हुआ और उन्हें बाल्यकाल से ही महान आध्यात्मिक संस्कार प्राप्त हुए। जब वे केवल एक माह के थे, तब ही गुरु महायोगी तारा शंकर जी ने उन्हें अपने संरक्षण में ले लिया। उनके गुरु ने उन्हें अघोर पंथ में दीक्षित किया और आध्यात्मिक जीवन के कठिन मार्ग पर चलना सिखाया। गुरु कृपा से उन्होंने अनेक गूढ़ साधनाओं और सिद्धियों को प्राप्त किया। उनकी शिक्षा दीक्षा का केंद्र अपने गुरु के चरण रहे, जहाँ उन्होंने गुरु के जीवन से प्रेरणा ली और अपने व्यक्तित्व को उन्हीं के आदर्शों में ढाल लिया।

कठोर साधना और योग साधना में निपुणता

बाबा अरुण गिरी जी महाराज ने 17 वर्ष की आयु में हिमालय की कंदराओं में कठोर तपस्या का संकल्प लिया। ऋषिकेश में स्थित 72 सीढ़ियों पर गहन तप करने के बाद उन्होंने चंद्रेश्वर महादेव श्मशान घाट में 20 वर्षों तक साधना की। इस तपस्या के दौरान उन्हें कई अलौकिक अनुभव हुए, और पायलट बाबा के आशीर्वाद से वे साधना सिद्धि को प्राप्त हुए। उनके जीवन की साधनाओं ने उन्हें आंतरिक दिव्यता और परमशक्ति का अनुभव कराया। उनकी साधना और तपस्या ने उन्हें आध्यात्मिक ऊँचाइयों पर पहुँचाया, जहाँ वे मानवता और प्रकृति के संरक्षण के कार्यों के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो गए।

पर्यावरण संरक्षण में योगदान: ‘अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा’
बाबा अरुण गिरी जी महाराज का जीवन पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित रहा है। 2010 में उन्होंने पर्यावरण के प्रति जनजागृति फैलाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम और अभियान शुरू किए। सबसे प्रमुख ‘अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा’ है, जो 2016 में जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी से शुरू होकर 2017 में कन्याकुमारी में संपन्न हुई। यह यात्रा पर्यावरण शुद्धि और संतुलन के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, जिसमें यात्रा मार्ग पर लगातार वृक्षारोपण और अखंड यज्ञ का आयोजन हुआ। इस यात्रा के दौरान उन्होंने पीपल, बड़ और नीम के त्रिवेणी संगम के पौधों का रोपण किया, जो पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बने। यह यात्रा उनके दृढ़ संकल्प, समर्पण और पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम का परिचायक है।

यज्ञ का महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
बाबा अरुण गिरी जी के अनुसार, यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो मानवता और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखती है। उन्होंने यज्ञ को शुद्धिकरण और उन्नति का माध्यम माना है, जो देवता और मनुष्यों के बीच एक दिव्य संबंध की स्थापना करता है। वे मानते हैं कि यज्ञ से उत्पन्न ऊर्जा न केवल पर्यावरण को शुद्ध करती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक कल्याण को भी बढ़ावा देती है।

श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 3 में वर्णित यज्ञ के सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए, बाबा अरुण गिरी जी ने यज्ञ को मानवता और प्रकृति के परस्पर सहयोग का माध्यम बताया है। उनके अनुसार, यज्ञ देवताओं को संतुष्ट कर मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। इसी भावना के साथ उन्होंने 1,00,008 कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य विश्व के 195 देशों के लिए शांति, पर्यावरण संरक्षण और समृद्धि का संकल्प था।

गुरु भक्ति और सेवा का संकल्प

बाबा अरुण गिरी जी का जीवन गुरु सेवा और भक्ति के आदर्शों से प्रेरित है। उन्होंने अपने समस्त कार्यों को गुरु के प्रति समर्पित किया है और मानते हैं कि उनके जीवन की हर उपलब्धि गुरु कृपा का प्रसाद है। गुरु महायोगी पायलट बाबा और गुरु तारा शंकर जी के संरक्षण में बिताए उनके वर्षों ने उन्हें एक विनम्र और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व बनाया। उनके अनुसार, गुरु के आदर्शों को आत्मसात करना और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना उनके जीवन का प्रमुख ध्येय है।

बचपन से ही उन्होंने गुरु के सानिध्य में अनेक यज्ञ और अनुष्ठानों में भाग लिया। महायोगी पायलट बाबा के निर्देशन में उन्होंने बड़े-बड़े यज्ञों का आयोजन किया और साधना में सिद्धि प्राप्त की। उनकी निस्वार्थ सेवा, गुरु भक्ति, और आध्यात्मिकता का प्रभाव आज लाखों अनुयायियों और समाज पर है।

वैश्विक स्तर पर सनातन परंपरा का प्रचार-प्रसार
बाबा अरुण गिरी जी महाराज का नेतृत्व भारत की सनातन परंपरा और संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार कर रहा है। वे मानते हैं कि प्राचीन भारतीय परंपराएं आज भी समाज के कल्याण के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विभिन्न देशों में जाकर भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रचार किया और लोगों को सनातन धर्म के सिद्धांतों से अवगत कराया। उनका जीवन मानवता, पर्यावरण और आध्यात्मिक उन्नति के प्रति समर्पित रहा है, और उनके प्रयास समाज में जागरूकता, प्रेरणा और शांति का संदेश फैला रहे हैं।

बाबा अरुण गिरी जी महाराज, एक संत, पर्यावरण संरक्षक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में, एक अद्वितीय दृष्टिकोण के साथ समाज को जागरूकता, सेवा और दिव्यता के मार्ग पर अग्रसर कर रहे हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा स्रोत है जो यह सिखाता है कि भक्ति, सेवा, और साधना के माध्यम से न केवल आत्मिक उन्नति होती है, बल्कि समाज और प्रकृति का संरक्षण भी संभव है।