पूज्य गुरुदेव पायलट बाबा
पूज्य पायलट बाबा जी का प्रेरणादायक जीवन
पायलट बाबा (मूल नाम: कपिल सिंह) एक प्रसिद्ध भारतीय योगी, आध्यात्मिक गुरु, लेखक और पूर्व लड़ाकू पायलट थे। उनका जन्म 15 जुलाई 1938 को बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में हुआ था। पायलट बाबा ने भारतीय वायुसेना में सेवा की और फिर आध्यात्मिकता की ओर मुड़कर सन्यासी बने। उनका जीवन पायलट से सन्यासी बनने की एक प्रेरणादायक और अद्वितीय यात्रा रही है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कपिल सिंह का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में उनका चयन भारतीय वायुसेना में हुआ। उन्होंने अपनी युवा अवस्था में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू पायलट के रूप में कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया।
भारतीय वायुसेना में सेवा
कपिल सिंह भारतीय वायुसेना में एक कुशल पायलट के रूप में कार्यरत रहे। उन्होंने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान कीं। उनकी बहादुरी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
आध्यात्मिक मोड़ और सन्यास
1962 के बाद, उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब उनकी मुलाकात स्वामी हरि गिरि जी महाराज से हुई। इस मुलाकात के बाद कपिल सिंह का मन धर्म और अध्यात्म की ओर आकर्षित हुआ। उन्होंने अपने गुरु के साथ हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में 14 वर्षों तक कठिन साधना की। इस साधना के दौरान वे “पायलट बाबा” के रूप में प्रसिद्ध हुए।
1972 में मिग विमान उड़ाते समय अचानक विमान पर नियंत्रण खो देने की एक घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। उस समय उन्होंने कॉकपिट में अपने गुरु के दर्शन किए, जिन्होंने विमान को सुरक्षित उतारने में उनकी मदद की। इस घटना के बाद उन्होंने सन्यास का मार्ग अपनाया और पूरी तरह से आध्यात्मिक जीवन में समर्पित हो गए।
आध्यात्मिक शिक्षाएं और योगदान
पायलट बाबा ने अपने जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा और आत्मज्ञान के प्रचार-प्रसार को बनाया। उन्होंने लोगों को शांति, अहिंसा, सह-अस्तित्व और सौहार्द का महत्व बताया। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि जापान, यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों में भी फैला है। उनके कई शिष्य, भारतीय और विदेशी, आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा के कार्यों में समर्पित हैं।
यज्ञ और पर्यावरण संरक्षण
पायलट बाबा का मानना था कि यज्ञ के माध्यम से पर्यावरण शुद्ध होता है और यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का एक साधन है। उन्होंने यज्ञ को वैज्ञानिक रूप से प्रभावी माना, जो वातावरण को शुद्ध करता है और असाध्य रोगों का भी उपचार करता है। यज्ञ की इस आध्यात्मिक और वैज्ञानिक अवधारणा ने उनके अनुयायियों के बीच व्यापक स्वीकृति पाई।
समाधि
पायलट बाबा की समाधि 20 अगस्त 2024 को हुई। उनकी आयु 86 वर्ष थी।
उनके आशीर्वाद और शिक्षाओं का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में फैल गया है। उनके अनुयायी आज भी उनके सिद्धांतों और शिक्षाओं का पालन कर मानवता और समाज की सेवा में संलग्न हैं। उनका जीवन पायलट से सन्यासी बनने की प्रेरणादायक यात्रा के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।