यज्ञ का महत्व
आवाहन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज । एनवायरमेंट बाबा ।
1.अग्नि:
वैदिक संस्कृति में अग्निहोत्र न केवल धार्मिक प्रक्रिया है, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
2.सेवा यज्ञ:
- समाज या व्यक्ति द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा को यज्ञ कहा गया है।
- ज्ञान और शिक्षा की सेवा को भी यज्ञ का स्वरूप माना गया है।
3.प्राण यज्ञ:
- लोगों को पीड़ा और असहाय स्थिति से बचाने का कार्य प्राण यज्ञ है।
- यह यज्ञ हमें अपने भीतर अग्नि के पांच आदर्श गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।
4.आध्यात्मिक यज्ञ:
- यज्ञ आंतरिक शुद्धि और दिव्यता की ओर ले जाता है।
- सांसारिक मोह से वैराग्य उत्पन्न करता है और जीवन को धार्मिकता की ओर प्रेरित करता है।